सशक्त नारी, सशक्त भारत ; जानिए भारत की आयरन लेडी के बारे में | आज महिला दिवस के मोके पर कुछ ऐसे अतीत के पन्ने जो आपके मनोवृत्ति को गर्व से भर देंगे। भारत की ऐसी कुछ महिलाये जिन्होंने बिना डरे बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना किया , ऐसा ही एक नाम है इंदिरा गाँधी का जिनके नाम का डंका पूरी दुनिआ मैं बजा।
उस भारतीय महिला की प्रबल कूटनीति, जिसने मन के किनारे से दुनिया का नक्शा बदल दिया। 1971 के असली राष्ट्रवाद को बताने से रोंगटे खड़े हो जायगे । अप्रैल 1971 मैं पाकिस्तान के जुल्म से परेशान होकर 5 लाख बांग्लादेशी असहाय लोगो ने हिंदुस्तान मैं आकर शरण ली , जिसके बाद युद्ध होना निश्चित था , लेकिन भारतीय सेना को बस पाकिस्तानी सेना से ही नहीं बल्कि अमेरिका और चीन जैसी बड़ी शक्तिओ से भी होनी थी और ये दोनों बड़ी शक्तिया पकिस्तान के साथ खड़ी थी।
लेकिन इंदिरा गाँधी भी अटल थी , और उन्होंने पाकिस्तानी राष्ट्रपति को पत्र लिखा और साफ़ सब्दो मैं लिख दिया ” “हिंदुस्तान अगर पाकिस्तान पर हमला करने का दुस्साहस करता है तो पाकिस्तान की संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए हर मुमकिन मदद चीन करेगा.”
यहाँ साफ़ था की अगर भारत और पाक के बिच युद्ध हुआ तो चीन पाक का साथ देगा और उसके साथ मिलके युद्ध करेगा। अमेरिका राष्ट्रपति इंदिरा गाँधी से नफरत करते थे उनका कहना था की “‘हिंदुस्तानी अच्छे लोग नहीं होते’ जिधर वो पाक राष्ट्रपति याह्या खान को खूब पंसद करते थे .
लेकिन फिर भी इंदिरा गाँधी नहीं डरी उन्हें ऐसी ही आयरन लेडी नहीं कहा जाता , चीन-अमेरिका-पाकिस्तान का उन्होंने एक साथ जनप्रदर्शन किया , यहाँ से शुरू हुआ असली गेम दिसंबर 1971 मैं हुआ युद्ध कायदे से जुलाई में छिड़ जाना था, मगर बड़ी ही चालाकी से चीन को रोकने के लिए हिमालय पर बर्फ गिरने का इंतजार किया गया. अमेरिका की काट के तौर पर सोवियत संघ से नजदीकी बढ़ाई जाने लगी. सोवियत संघ दोनों के खिलाफ भारत के साथ थी.
सशक्त नारी, सशक्त भारत ; आगे इंदिरा गाँधी ने क्या किया ?
एक संधि होती है रूस के साथ , संधि मैं फैसला हुआ की “दोनों देशों पर किसी बाहरी आक्रमण की सूरत में दोनों ही देश शांति बहाली के लिए उचित कदम उठाएंगे” यहां से ये तय हो गया कि अगर अमेरिका-चीन कोई भी भारत-पाक के युद्ध के बीच आया तो उसे रूस के भीषण भारी बिपत्ति को झेलना पड़ेगा.”
हिमालय की बर्फ की मोटी चादर जैम चुकी थी और अब चीन कुछ नहीं कर सकता था। 3 दिसम्बर 1971 को इंदिरा गाँधी के एक इशारे पर पाक पर हमला बोल दिया , और हमले मैं भारत न पाकिस्तान पर तद्दाम तोड़ बम भरसाये और उसको चारो तरफ से घेर लिया। जिसके बाद पाकिस्तान गवर्नर ने लिखा, ”हमें समर्पण कर, समस्या का राजनीतिक समाधान खोजना चाहिए,अगर ऐसा नहीं हुआ तो पूर्वी मोर्चे से फारिग होने के बाद भारतीय सेना का खतरा पश्चिमी पाकिस्तान पर भी बढ़ जाएगा.” मतलब ये था कि बांग्लादेश तो हाथ से गया, लड़ाई नहीं रोकी तो पाकिस्तान से भी हाथ धोना पड़ेगा.
प्रधानमंत्री इंदिरा ने लोकसभा में ऐलान किया, ”ढाका अब एक आजाद मुल्क की राजधानी है.” पूरा सदन इंदिरा गांधी जिंदाबाद के नारे से गूंज उठा. विपक्षी भी मन ही मन खुद नारा लगाने से रोक नहीं पाए. पूरी दुनिया में इंदिरा गांधी के नाम का डंका बज रहा था.
एक हिंदुस्तानी महिला न अमेरिका के गुरुर को मिटटी मैं मिला दिए और दुनिआ मैं भारत की एक नयी छवि बन गयी|
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