लोग इस शख्स को कहते हैं महापुरुष और भगवान, दिल जीतने वाला है इनका काम

लोग इस शख्स को कहते हैं महापुरुष और भगवान, दिल जीतने वाला है इनका काम | तपन कुमार लाहिड़ी उत्तर प्रदेश राज्य के एक भारतीय कार्डियोथोरेसिक सर्जन, मेडिकल अकादमिक और लेखक हैं। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग में एक पूर्व प्रोफेसर हैं। भारत सरकार ने उन्हें चिकित्सा में योगदान के लिए 2016 में पद्म श्री के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया।

लोग इस शख्स को कहते हैं महापुरुष ;- कोलकाता में जन्मे, उन्होंने 1969 में इंग्लैंड में कार्डिएक सर्जरी में एफआरसीएस और 1972 में एमसीएच थोरैसिक सर्जरी में बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में संकाय के सदस्य के रूप में अपना करियर शुरू करने से पहले एक ही संस्थान से किया, जहां उन्होंने पदों का संचालन किया। एक पाठक, सहायक प्रोफेसर, प्रोफेसर और कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के प्रमुख। 2003 में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद, उन्हें प्रोफेसर एमेरिटस नियुक्त किया गया था (जिसके लिए वे वेतन स्वीकार नहीं करते हैं, वे संस्था के उसी विश्वविद्यालय अस्पताल में सेवानिवृत्त होने के बाद अपनी सेवाएं मानवता को मुफ्त में दे रहे हैं)। भारत सरकार ने उन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया।

ऐसे ही डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। तमाम चिकित्सकों से मरीज़ों के लुटने के किस्से तो आए दिन सुनने को मिलते हैं लेकिन डॉ. लहरी देश के ऐसे डॉक्टर हैं, जो मरीजों का निःशुल्क इलाज करते हैं। अपनी इस सेवा के लिए डॉ. लहरी को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में चौथे सर्वश्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ लहरी ने सन् 1974 में प्रोफेसर के रूप में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में अपना करियर शुरू किया था और आज भी वह बनारस में किसी देवदूत से कम नहीं हैं। बनारस में उन्हें लोग साक्षात भगवान की तरह जानते-मानते हैं। जिस ख्वाब को संजोकर मदन मोहन मालवीय ने बीएचयू की स्थापना की, उसको डॉ लहरी आज भी जिन्दा रखे हुए हैं।

रिटायरमेंट के बाद भी करते हैं ड्यूटी 
– डॉ. लहरी ने बताया, रिटायरमेंट के बाद उन्हें अमेरिका के कई बड़े हॉस्पिटल से ऑफर था, लेकिन उनका मन यहीं लग गया था।  
– रिटायरमेंट के बाद भी रेग्युलर सुबह 6 बजे वे बीएचयू जाते हैं और 3 घंटे ड्यूटी करने के बाद वापस आते हैं। शाम को भी इसी तरह ड्यूटी करते हैं। इसके बदले बीएचयू से केवल आवास के आलावा कोई सुविधा नहीं ली।  
– इनके इसी सेवा भाव को देखते हुए 2016 में इनको पदमश्री से नवाजा गया। 
– बीएचयू के डॉ. लखोटिया ने बताया, ऐसी शख्स‍ियत हमेशा हम सब के लिए आइडियल है। उनके जैसा एक्सपीरियंस सभी के काम में आता है। मरीजों के लिए वो लाइफ का एक-एक पल डोनेट करते हैं। वो मानते हैं कि कर्म ने उनको डॉक्टर इसीलिए बनाया कि हर जरूरतमंद मरीज की वो मदद कर पाएं।

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