स्पोर्ट्स एक्सप्लेनर:WTC फाइनल में भारत-न्यूजीलैंड के लिए ड्यूक बॉल बड़ा चैलेंज, जानिए क्यों स्विंग और सीम बॉलिंग के लिए मददगार है यह गेंद | ग्रुप इंडिया को 18 जून से साउथेम्प्टन में मॉडर्न जीलैंड के खिलाफ आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेलना है। यह मैच ब्रिटेन में बने ड्यूक बॉल से खेला जाएगा। दोनों टीमें घरेलू क्रिकेट में इस गेंद का इस्तेमाल नहीं करती हैं, इसलिए यह निष्पक्ष गेंद दोनों के लिए चुनौती होगी। ड्यूक गेंद स्विंग और क्रीज गेंदबाजी के लिए सहायक होती है, इसलिए बल्लेबाजों को रन बनाने के लिए इससे पार पाना होगा।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 3 गेंदों का इस्तेमाल किया जाता है। ये हैं ड्यूक, कूकाबुरा और एसजी बॉल। इन 3 गेंदों से 12 देशों ने आईसीसी के टेस्ट मैच में पहचान बनाई। आइए जानते हैं इन गेंदों की ताकत और बाकी बातें |
तीन गेंदों के बीच आवश्यक अंतर क्या है? तीन गेंदों के बीच मूलभूत अंतर उनकी क्रीज है, जो देखने में विविधतापूर्ण है। ड्यूक बॉल की क्रीज ऊपर उठती है, जबकि एसजी की क्रीज समतल होती है। जबकि कूकाबुरा का क्रीज निचोड़ा हुआ है। ड्यूक का रंग एसजी और कूकाबुरा की तुलना में गहरा है। इसके बाद से इसकी चमक लंबे समय तक बनी रहती है।
स्पोर्ट्स एक्सप्लेनर WTC फाइनल ; ड्यूक तेज गेंदबाजों के लिए क्यों फायदेमंद है? यह गेंद ब्रिटेन में बनी है, अंग्रेजी समूह, आयरलैंड और वेस्ट इंडीज के खेल के विस्तार में। इसे हाथ से बनाया जाता है। गेंद की क्रीज सीधी और टाइट होती है, जिससे गेंद लंबे समय तक आकार में बनी रहती है। इसके बाद से यह तेज गेंदबाजों के लिए ज्यादा फायदेमंद है।
ड्यूक को कितने ओवर में सामान्य स्विंग मिलती है? 2007 के बाद ड्यूक में कई बदलाव किए गए। हाथ की सिलाई को मजबूत किया गया, जिससे यह कूकाबुरा और एसजी से अधिक लंबी हो गई। यही कारण हो सकता है कि 50 से 60 ओवर तक इसकी सामान्य स्विंग चलती रहती है। इस गेंद पर 20 से 30 ओवर के बाद की तरह ही टर्न अराउंड स्विंग होने लगती है।
ड्यूक की उपाधि कैसे दी गई? गेंद बनाने वाली कंपनी का मालिक कौन है? इस गेंद को ब्रिटेन के ड्यूक परिवार ने 1760 में बनाया था, फलस्वरूप गेंद को यह उपाधि दी गई। यह कंपनी क्रिकेट हार्डवेयर बनाती है। केंट, यूके से शुरू हुई इस कंपनी के वर्तमान मालिक भारतीय मूल के दिलीप जाजोदिया हैं। उन्होंने इस कंपनी को 1987 में खरीदा था।
टीम इंडिया किस बॉल से टेस्ट खेलती है? भारत में बनी सैंसपैरिल ग्रीनलैंड्स (एसजी) गेंद भी ड्यूक की तरह ही हाथ से बनाई जाती है। जैसा कि भारत का ग्रुप इसी गेंद से खेलता था। इससे स्पिनरों को ज्यादा फर्क पड़ता है। इसमें सामान्य स्विंग है क्योंकि यह पहले 10 से 20 ओवरों के लिए थी। गेंद की चमक भी बहुत पहले गायब हो जाती है। जो भी हो, यह क्रीज़ के मामले में बेहतर है। 80-90 ओवर तक ठोस रहता है।
गेंद के उपयोग के संबंध में ICC के नियम क्या हैं? गेंद के उपयोग के संबंध में यूनिवर्सल क्रिकेट कमेटी (ICC) की ओर से कोई विशेष नियम नहीं हैं। सभी राष्ट्र अपनी शर्त के अनुसार गेंद का उपयोग करते हैं। जिस देश में व्यवस्था चल रही है, वह देश अपनी मर्जी से गेंद का इस्तेमाल करता है। एक देश एक व्यवस्था को घरेलू स्तर पर विविध गेंद से और दूसरी व्यवस्था को विविध गेंद से खेल सकता है।
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