बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से मुसीबत। रात भर अंधेरे में रहे करोड़ों लोग

बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से मुसीबत। रात भर अंधेरे में रहे करोड़ों लोग । धरी रह गईं प्रशासनिक तैयारियां। प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ | लाखों घरों में बिजली की सप्लाई बंध

रात भर अंधेरे में रहे करोड़ों लोग

यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के कारण सोमवार को एक बुरी स्थिति देखने को मिली। प्रदेश में सोमवार को लाखों घरों में बिजली की सप्लाई बंध हुई जिससे सभी लोग परेशान दिखे।
प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ सभी बिजली कर्मचारी हड़ताल पर चले गए है। सोमवार को शुरू हुई हड़ताल को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है। प्रदेश में उपमुख्यमंत्रियों के आवास से लेकर हर आम आदमी के घरो में अँधेरा रहा । इस हड़ताल का हर तरफ से बुरा असर पढ़ रहा है। कर्मचारियों की हड़ताल का असर ऐसा दिखा कि जहां समूचे पूर्वांचल के एक बड़े हिस्से में सारी रात बिजली की आपूर्ति नहीं हो सकी।

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वहीं राजधानी लखनऊ में डेप्युटी सीएम, ऊर्जा मंत्री समेत कुल 36 मंत्रियों सहित हजारों घरों में पावर सप्लाई का काम नहीं हो सका। कर्मचारियों की हड़ताल करके पंचकोशी, पहडिय़ा, आशापुर, शक्तिपीठ, फरीदपुर, रसूलगढ़, सलारपुर, रुस्तमपुर, सारनाथ, सिंहपुर, गोला, परशुरामपुर, बेनीपुर, तिब्बती संस्थान, मवइया, पुराना आरटीओ, अमनपुरी, अवधपुरी, आनंदपुरी, गणपति नगर आदि क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है।

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लोगों की बढ़ी मुश्किलें

लोगों को बिजली-पानी के लिए परेशान होना पड़ा। पब्लिक रोड पर उतर आई। मोहल्ले व गलियों में लोग टहलते रहे। कभी बिजली विभाग तो कभी प्रशासन व सरकार को कोसते रहे। कर्मचारियों की हड़ताल का असर कुछ ऐसा दिखा कि जहां समूचे पूर्वांचल के एक बड़े हिस्से में सारी रात बिजली नहीं मिली । वहीं राजधानी लखनऊ में डेप्युटी सीएम, ऊर्जा मंत्री समेत कुल 36 मंत्रियों सहित हजारों घरों में पावर सप्लाई का काम भी नहीं हो सका।  लखनऊ से लेकर नोएडा और मेरठ से लेकर वाराणसी तक तमाम जिलों में 10 से 16 घंटे तक हुई बिजली कटौती ने लोगों के सामने पीने के पानी तक का संकट खड़ा कर दिया |

इस दौरान तमाम विद्युत उपकेंद्रों पर बिजली विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ लोगों का आक्रोश भी देखने को मिला। आम लोगों ने इसके लिए प्रशासनिक इंतजामों को जमकर कोसा। बिजली कर्मचारियों की हड़ताल करके प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी शहरों के पावर स्टेशन थप रहे।

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कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में निकाला कैंडल मार्च– निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों ने शक्तिभवन से जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा स्थल तक कैंडल मार्च निकाला। इस दौरान यूपी पावर एवं निविदा संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र पांडेय ने मांग उठाई कि संविदाकर्मियों को मस्टररोल के तहत सीधे विभाग से वेतन भुगतान किया जाए। इसके अलावा ईपीएफ, ईएसआई के नाम पर बीते 19 साल में हुए घोटाले की जांच करवाई जाए।

सरकार का जवाब– प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ धरने में शामिल कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार को देखते हुए सरकार ने भले ही तमाम इंतजाम करने का दावा किया हो, लेकिन व्यवस्था और जमीनी हालात इससे बिल्कुल जुदा दिखे। श्रीकांत शर्मा के हस्तक्षेप के बाद निजीकरण का फैसला फिलहाल वापस ले लिया गया है। लेकिन यह भी कहा गया कि पावर कॉर्पोरेशन के सीएमडी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया और वार्ता विफल हो गई।

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