दिल्ली-करनाल हाईवे पर किसानो का रोष प्रदर्शन जारी । किसानो का आंदोलन | किसान बिल के खिलाफ | किसान बिल | किसानों ने जमकर प्रदर्शन
किसानो का आंदोलन
सरकार की और से पास किये गए किसान बिल को ले कर सभी किसान उसके खिलाफ है। किसानो का कहना है की इस किसान बिल का उन पर बुरा प्रभाव होगा। पर सरकार का मान ना है की इस से किसानो को बहुत फायदा होगा। और इसके खिलाफ खड़े किसान हर दिन इसके प्रति अपना गुस्सा प्रकट क्र रहे है। मोदी सरकार के कृषि से जुड़े तीन कानूनों को लेकर किसानों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। किसान संगठन लगातार इन कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। बुधवार को हरियाणा के अंबाला में किसानों ने जमकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए चंडीगढ़-दिल्ली हाईवे पर पुलिस ने वॉटर कैनन से पानी बरसाया गया, लेकिन किसान पीछे नहीं हटे।
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हालात देखते हुए बॉर्डर पर भारी फोर्स तैनात है। पुलिस को साफ निर्देश हैं कि किसानों को दिल्ली में घुसने न दिया जाए। फिलहाल किसान करनाल के पास हैं। फरीदाबाद में धारा 144 लागू कर दी गई है। किसान राशन-पानी साथ लेकर आए हैं और उनकी योजना है कि जहां पुलिस उनको रोकेगी, वहीं धरने पर बैठ जाएंगे। पुलिस के अनुमान के अनुसार, पंजाब के लगभग 2,00,000 किसान 26 नवंबर से अपने ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन के तहत दिल्ली रवाना होने के लिए तैयार हैं। किसानों के प्रदर्शन के चलते कई जगहों पर भारी जाम लग सकता है। ‘ऑल-इंडिया किसान संघर्ष कोर्डिनेशन कमिटी’ , राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान यूनियन के विभिन्न धड़ों ने केन्द्र पर हाल के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाने के लिए 26-27 नवम्बर को ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया था। किसान संगठनों ने कहा है कि उन्हें राष्ट्रीय राजधानी जाते हुए, उन्हें जहां कहीं भी रोका गया, वे वहीं धरने पर बैठ जाएंगे। अधिकारियो ने बताया कि हरियाणा पुलिस ने पंजाब से लगने वाली सड़कों पर अवरोधक भी लगाए हैं। यातायात मार्ग में भी परिवर्तन किया जाएगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को कहा था कि 26 और 27 नवम्बर को पंजाब से लगती राज्य की सीमा सील रहेगी।
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इस बीच, शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से किसानों की चिंताओं पर गौर करने की अपील की। उन्होंने ट्वीट किया कि सरकार और किसानों के बीच संघर्ष पंजाब और देश को ‘‘अराजकता’’ की ओर धकेल रहा है। बादल ने प्रधानमंत्री से उनकी शिकायतों पर फिर गौर करने और पंजाब को ‘‘संकट में ना डालने’’ की अपील की।
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किसान आंदोलन का कारण
किसानों के आंदोलन का सबसे बड़ा कारण नए किसान कानून की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य के खत्म होने का डर है। अब तक किसान अपनी फसल को अपने आस-पास की मंडियों में सरकार की ओर से तय की गई MSP पर बेचते थे। वहीं इस नए किसान कानून के कारण सरकार ने कृषि उपज मंडी समिति से बाहर कृषि के कारोबार को मंजूरी दे दी है। और इसके कारण किसानों को डर है की उन्हें अब उनकी फसलों का उचित मुल्य भी नहीं मिल पाएगा। इसी कारन किसान अपनी नाराज़गी प्रकट क्र रहे है। पंजाब और हरियाणा में किसान कानून का विरोध सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। इन राज्यों में सरकार को मंडियों से काफी ज्यादा मात्रा में राजस्व की प्राप्ति होती है। वहीं नए किसानों कानून के कारण अब कारोबारी सीधे किसानों से अनाज खरीद पाएंगे, जिसके कारण वह मंडियों में दिए जाने वाले मंडि टैक्स से बच जाएंगे. इसका सीधा असर राज्य के राजस्व पर पड़ सकता है। नए किसान कानून में सरकार ने जिस व्यवस्था को जोड़ा है. उसमें कारोबारी किसान से मंडी के बाहर अनाज खरीद सकता है। अभी तक मंडी में किसान से अनाज की खरीद पर व्यापारी को 6 से 7 प्रतिशत का टैक्स देना होता था. वहीं मंडी के बाहर अनाज की खरीद पर किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा। इससे आने वाले समय में मंडियां पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी और किसान सीधे तौर पर व्यापारियों के हवाले होगा। उसे उनकी फसल पर तय दाम से ज्यादा या कम भी मिल सकता है।
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