पानी से लेकर बिजली
पानी से लेकर बिजली

पानी से लेकर बिजली तक सब कुछ मुफ्त है इस घर मे , जानिए कैसे | आज के दौर मे हर व्यक्ति बढ़ती महंगाई, बिजली बिल, प्रदूषण और स्वास्थय संबंधी समस्याओं से परेशान है। ऐसे मे कुछ लोग ऐसे भी है जो आगे बढ़कर इन हालातो को बदलने के लिए कदम उठाते हैं। तो आज हम आपको ऐसी ही एक शिक्षक दंपति के बारे मे बताते है। इन्होने अपनी जीवनशैली को बेहतर बनाने के लिए खुद से प्रयास किये और एक खूबसूरत इको-फ्रेंडली आशियाना तैयार किया। जयदीप सिंह और उनकी पत्नी इंदुबा, गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के ऊना गाँव में शिक्षक हैं।

पानी से लेकर बिजली ;- आज से लगभग तीन साल पहले , उन्होंने अपना घर बनाने का सोचा तो तभी उन्होंने सोच लिया था की उनका घर सारी सुख सुविधाओं से भरपूर तो होगा, साथ ही, प्रकृति से भी जुड़ा होगा। आज यह दंपति, अपने बेटे और माता पिता के साथ रहते है। ये सभी सस्टेनेबल तरीके से घर चलाने पर विश्वास करते हैं। इनके घर में आपको सोलर पैनल, सोलर हीटर के साथ-साथ, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी देखने को मिल जाएगा।

बारिश का पानी जमा करने के लिए, घर के बेसमेंट में 17 हजार लीटर की टंकी बनायी गई है। घर के किचन में तीन नल लगवाए हुए हैं, एक से बारिश का पानी आता है, जिसे पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, दूसरा नल सोलर हीटर से जुड़ा हुआ है, जिससे गर्म पानी आता है और तीसरे नल से सामान्य पानी आता है।

ग्रीन लाइफ स्टाइल के लिए किये कई प्रयास 

स्कूल में विज्ञान की शिक्षिका इंदुबा बताती हैं, “मुझे प्रकृति से जुड़ाव पसंद है और यही कारण है कि आपको मेरे घर (sustainable home) में ढेर सारे पौधे दिख जाएंगे। हरियाली की वजह से खूब सारी चिड़ियां हमारे आंगन में आती-जाती रहती हैं। मेरा प्रयास रहता है कि किचन के लिए हरी सब्जियां बाहर से न आए। यही वजह है कि मैं छत पर हरी सब्जियां भी उगा लेती हूँ।”

वह कहती हैं, “मैं ऑर्गेनिक तरीके से सब्जियां उगाती हूँ। पौधों के लिए खाद भी घर में ही बनाती हूँ। मैं किचन से निकलने वाले गीले कचरे और पेड़-पौधे से निकले पत्तों को जमा कर खाद बनाती हूँ। मेरे घर के सभी सदस्य इस काम में, मेरी मदद करते हैं।” इसके साथ ही, यह परिवार सोलर इंडक्शन चूल्हे का भी उपयोग करता है। 

आने वाली पीढ़ी के प्रति हैं जिम्मेदार

वे कहती हैं, “ये बहुत जरूरी है कि आनेवाली पीढ़ी, सौर ऊर्जा का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करे। हम चाहते हैं कि सभी सरकारी स्कूलों में बनने वाला ‘मिड डे मील’ सौर ऊर्जा से बने। इसके अलावा, स्कूल परिसरों में सब्जियां उगाई जानी चाहिए, ताकि बच्चे पढ़ाई के साथ, प्रकृति से भी जुड़े रहें।”

इंदुबा को आर्ट और क्रॉफ्ट का काफी शौक है। वह स्कूल में साइंस एक्टिविटि से संबंधित क्रॉफ्ट भी बनाती हैं। उन्होंने स्कूली बच्चों के लिए, साइंस से संबंधित तकरीबन 200 खिलौने तैयार किए हैं। जिसका इस्तेमाल बच्चे अपनी पढ़ाई में करते हैं।

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