लोक सभा में पास हुआ कृषि बिल। किसान क्यो कर रहे इसका विरोध ?

लोक सभा में पास हुआ कृषि बिल। किसान क्यो कर रहे इसका विरोध ? कृषि बिल २०२०। कृषि बिल का विरोध। आखिर क्या है मोदी जी के इस कृषि बिल में। कृषि बिल का फायदा।

कृषि बिल २०२० – किसान क्यो कर रहे इसका विरोध ?

कृषि बिल २०२० का सिलसला ५ जून २०२० से शुरू हुआ जब ३ बिल को अध्यादेश में लाया गया। और अब सांसद में बिल के रूप में पेश होते ही हर जगह इस बिल का विरोध प्रदर्शन किआ जा रहा है। इन बिल का विरोध करते हुए पंजाब की केंद्रीय मंत्री श्रमती हरसिमरत कौर ने भी इस्तीफा दे दिआ है। और भारत के अलग अलग जगहों पर इसका विरोध प्रदर्शन किआ जारा है। इन बिल के माध्यम से कुछ ऐसा माहौल बनाया जायेगा जिसमे किसान और व्यापारी किसी भी राज्य में जाकर अपनी फसलों को बेच और खरीद सकेंग। इस बिल के मुताबिक जरूरी नहीं कि आप राज्य की सीमाओं में ही रहकर ही फसलों की बिक्री करे। सरकार का कहना है की इन बिल के कारण किसानो को फायदा होगा और उनकी आमदन में भी बड़ौती होगी।

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क्या है यह ३ बिल?

  1. कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक,२०२०- इस बिल के तहत किसान अपनी फसल की बिक्री देश के किसी भी कोने में कर सकेंगे। अगर राज्य में उन्हें सही मूल्य नहीं मिल पा रहा या मंडी सुविधा नहीं है तो किसान अपनी फसलों को किसी दूसरे राज्य में ले जाकर फसलों को बेंच सकता है। और इस दौरान बिक्री पर कोई भी टैक्स या कर नहीं लगेगा। जैसे की पहले पंजाब राज्य में । ५% टैक्स लगाया जाता था। इस बिल को पास करके सरकार एक देश, एक बाजार निति को अपनाना चाहती है।
    2. मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान समझौता, २०२०– इस बिल में सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का रास्ता खोलना चाहती है। सरकार ने किसानों की आय को बढ़ाने को लेकर ध्यान दिया है। इसके माध्यम से सरकार बिचौलिओं को खत्म करना चाहती है। इसका मतलब है की किसान फसल बोने से पहले ही वो उसका सौदा कर सकते है। और इसके साथ साथ वो बड़े व्यापारी , संस्था ,से बात करके अपनी फसल का दाम तह कर सकते है , जिस से उनको दर भी काम होगा की बाद में उनकी फसल का क्या दाम होगा।
    3. आवश्यक वस्तु (संशोधन), २०२०- इस बिल के तहत जरूरी वस्तुओ का शंशोधन करने की बात की गई है। 2020 के तहत अनाज, खाद्य तेल, आलू-प्याज को आनिवार्य वस्तु नहीं रह गई हैं उनको आवश्यक चीज़ो की सूचि से हटा दिया गया है। इनका अब भंडारण किया जाएगा। इसके तहत कृषि में विदेशी निवेश को आकर्षित करने का सरकार प्रयास कर रही है ।

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किसान बिल का विरोध

इसमें किसानों व अन्य राजनैतिक पार्टियों का कहना है कि अगर मंडियां खत्म हो गई तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Selling Price) नहीं मिल पाएगी। इसलिए एक राष्ट्र एक MSP होना चाहिए।
विरोध का कारण यह भी है कि कीमतों को तय करने का कोई तंत्र नहीं है। इसलिए किसानों और राजनैतिक दलों की चिंता यह है कि कहीं निजी कंपनियां किसानों का शोषण न करें।
इस मुद्दे को लेकर पंजाब में किसान ट्रैक्टर आंदोलन कर चुके हैं और व्यापारी चार राज्यों में मंडियों की हड़ताल करवा चुके हैं।
कुल मिलाकर इसके खिलाफ किसान और व्यापारी दोनों एकजुट हो गए हैं। हालांकि, केंद्र सरकार इसे कृषि सुधार (Agri reform) की दिशा में मास्टर स्ट्रोक बता रही है।
सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि किसानों की भावनाओं को सरकार को बता दी गई है। हमने काफी प्रयास किया कि लोगों की आशंकाएं दूर की जाएं, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। पंजाब राज्य में कृषि के आधारभूत ढांचे को तैयार करने में सरकारों ने कठिन परिश्रम किया है और इसमें 50 वर्ष का समय लगा है। यह अध्यादेश सरकारों की 50 साल की मेहनत को बर्बाद कर देगा।

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